क्या 14 साल में खत्म हो जाएगी दुनिया? 12 जुलाई 2038 की तारीख को लेकर NASA ने दी डराने वाली जानकारी

 क्या 14 साल में खत्म हो जाएगी दुनिया? 12 जुलाई 2038 की तारीख को लेकर NASA ने दी डराने वाली जानकारी

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

 

 

 

 

 

नासा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि काल्पनिक टेबलटॉप एक्सरसाइज में पता चला कि 14 सालों में एक एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की संभावना है.

क्या 14 साल में खत्म हो जाएगी दुनिया? 12 जुलाई 2038 की तारीख को लेकर NASA ने दी डराने वाली जानकारी

 

 

 

क्या होगा 12 जुलाई 2038?

अगले 14 सालों में एक खतरनाक क्षुद्रग्रह या एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकरा सकता है.

 

नई दिल्ली,, अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने एक काल्पनिकल टेबलटॉप एक्सरसाइज की रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में बताया गया कि इस विशालकाय एस्टेरॉयड के टकराने की संभावना 72 फीसदी है. हालांकि, निकट भविष्य में ऐसे किसी भी एस्टेरॉयड की पहचान नहीं हुई है, लेकिन 14 सालों में ऐसा होने की संभावना जताई गई है.

नासा ने रिपोर्ट में इस खगोलीय घटना की तारीख भी बताई है और उसके हिसाब से ऐसा होने में 14.25 साल हैं. यानी इसकी तारीख होगी- 12 जुलाई, 2038. नासा ने 20 जून को जॉन्स हॉपकिंस एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी (APL) में टबेलटॉप एक्सरसाइज के बारे में बताया था. इस एक्सरसाइज में नासा के अलावा 100 से ज्यादा विभिन्न अमेरिकी सरकार की और दूसरे देशो की एजेंसियां भी शामिल थीं.

 

स्टेरॉयड की पृथ्वी से टकराने की 72 फीसदी संभावना

रिपोर्ट में बताया गया कि यह एक्सरसाइज इस वजह से की गई थी कि इस तरह के खतरे से निपटने के लिए पृथ्वी की क्षमता का आकलन किया जा सके. इसमें यह भी कहा गया कि एक्सरसाइज के दौरान काल्पनिक परिदृश्य के लिए खास तरह का माहौल तैयार किया गया, जिसमें कभी नहीं पहचाने गए स्टेरॉयड की पहचान की गई. शुरुआती गणना के अनुसार इस स्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की 72 फीसदी संभावना है, जिसमें करीब 14 सालों का समय लगेगा. हालांकि, स्टेरॉयड के आकार, कॉम्पोजिशन और लॉन्गटर्म ट्रेजेक्टरी को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है.

वॉशिंगटन में नासा हेड ऑफिस में प्लेनेटरी डिफेंड ऑफिसर लिंडले जॉनसन ने कहा कि इस एक्सरसाइज की शुरुआती अनिश्चितताओं ने प्रतिभागियों को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों पर विचार करने का मौका दिया. उन्होंने कहा कि एक बड़ा स्टेरॉयड संभावित रूप से एकमात्र प्राकृतिक आपदा है, जिसके प्रभावों का पहले से ही इंसान टेक्नोलॉजी के जरिए आकलन कर सकता है और उससे बचने का रास्ता खोजने की कोशिश भी तकनीकी रूप से की जा सकती है.