भरोसे का फायदा उठाकर जमानत बांड पर हस्ताक्षर के बहाने वकील ने बुजुर्ग की जमीन करा ली रजिस्ट्री

 भरोसे का फायदा उठाकर जमानत बांड पर हस्ताक्षर के बहाने वकील ने बुजुर्ग की जमीन करा ली रजिस्ट्री

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने वकील की अपील की खारिज
अधिवक्ता तुलाराम पटेल ने भुगतान के संबंध में नहीं दे पाए सबूत
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा-मुवक्किल के साथ यह विश्वासघात है

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने वकील की अपील खारिज करते हुए कहा कि यह तो अधिवक्ता आचरण के खिलाफ है। डीविजन बेंच ने अपने फैसले में तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा है कि मामले के तथ्य व सबूतों से स्पष्ट है कि वकील ने अपने मुवक्किल के साथ विश्वासघात किया है। वकील ने बुजुर्ग मुवक्किल से जमानत बांड पर हस्ताक्षर कराने के बहाने आठ एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करा ली। याचिकाकर्ता अधिवक्ता को फटकार लगाते हुए हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया है व अधिवक्ता की अपील खारिज कर दी है।

निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने कहा कि तथ्य और सबूतों से स्पष्ट है कि वकील ने अपने मुवक्किल के साथ छल तो किया ही है साथ ही विश्वासघात भी किया है। पीड़ित व्यक्ति न्याय की आस लेकर अधिवक्ता के पास पहुंचता है। मामले मुकदमे के लिए जो भी जरुरी दस्तावेज होता है वह बिना किसी हिचक के साथ अधिवक्ता के हवाले कर देता है। यह सिर्फ भरोसे के कारण ही वह करता है। दस्तावेजों में हस्ताक्षर भी इसी भरोसे के साथ करता है कि उनको न्याय मिलेगा। अधिवक्ता के ऊपर आंख मुंदकर भरोसा करता है। इस मामले में तो कुछ अलग ही दिखाई दे रहा है। मुवक्किल के भरोसे को तोड़ने के साथ ही विश्वासघात किया है।

वकील तुलाराम पटेल खैरा गांव में रहने वाले 70 वर्षीय मेहरचंद नायक को जमानत बांड पर हस्ताक्षर करने के नाम पर अपने साथ बिलासपुर लेकर आया। मेहरचंद के नाम पर दर्ज जमीन अपने नाम करा ली।

अधिवक्ता पटेल ने अपनी याचिका में कहा है कि जमीन के एवज में बुजुर्ग को 15 लाख 64 हजार 700 रुपए का भुगतान किया था। जमीन खरीदने के कारण कोर्ट से उसने अपने पक्ष में स्थायी निषेधाज्ञा पारित करने की मांग की थी। इसके खिलाफ बुजुर्ग के बेटे व बेटियों ने ट्रायल कोर्ट में केस लगाया था, जिसे मंजूर कर लिया गया। वकील ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

भुगतान के संबंध में नहीं दे पाए सबूत

मामले की सुनवाई के दौरान जमीन खरीदने वाले अधिवक्ता तुलाराम पटेल ने बुजुर्ग को भुगतान किए गए 15 लाख 64 हजार 700 रुपए के संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए। वे इस बात की पुष्टि नहीं कर पाए कि इतनी बड़ी रकम का लेन-देन किस तरह किया गया। अधिवक्ता द्वारा धोखाधड़ी से सेल डीड पास करने के संबंध में जमीन बेचने वाले मेहरचंद ने ही पुलिस और स्टेट बार काउंसिल में शिकायतें की थीं। पुलिस ने जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया था। निचली अदालत ने जमीन खरीदने वाले अधिवक्ता पटेल और गवाहों को दोषी ठहराया था।

फैसले की कापी स्टेट बार काउंसिल को भेजने के निर्देश

हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने अधिवक्ता पटेल की अपील को खारिज करने के साथ ही तल्ख टिप्पणी भी की है। डिवीजन बेंच ने फैसले की एक प्रति स्टेट बार कौंसिल को भेजने का निर्देश दिया है। स्टेट बार कौंसिल में पीड़ित ने पहले ही शिकायत दर्ज करा दी है। हाई कोर्ट के फैसले की प्रति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई प्रारंभ होगी। स्टेट बार कौंसिल द्वारा प्रकरण को अनुशासन समिति को सौंपा जाएगा। अनुशासन समिति जांच के बाद स्टेट बार कौंसिल चेयरमैन को रिपोर्ट पेश करेगी। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। कानून के जानकारों का कहना है कि व्यावसायिक कदाचरण और हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद अधिवक्ता का लाइसेंस स्टेटबार कौंसिल निरस्त भी कर सकता है।