अब शिक्षा विभाग के हवाले स्वामी आत्मानंद स्कूल: इन स्कूलों की संचालन समितियां होंगी खत्म, 800 करोड़ का घपला!

 अब शिक्षा विभाग के हवाले स्वामी आत्मानंद स्कूल: इन स्कूलों की संचालन समितियां होंगी खत्म, 800 करोड़ का घपला!

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

 

 

छत्तीसगढ़ सरकार स्कूली शिक्षा में एक और बदलाव करने जा रही है।

 

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार स्कूली शिक्षा में एक और बदलाव करने जा रही है। भूपेश सरकार में बहुप्रतिक्षित स्वामी आत्मानंद स्कूलों में शिक्षा की वर्तमान स्थिति, अनियमितता और कुप्रबंधन को लेकर इसकी संचालन समितियों को तत्काल प्रभाव से खत्म करने का निर्णय लिया गया है। स्वामी आत्मानंद स्कूलों में शिक्षा-दीक्षा की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अब शिक्षा विभाग के हवाले होगी। स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज गुरुवार को विधानसभा में स्वामी आत्मानंद स्कूलों में गड़बड़ी में ध्यानाकर्षण का जवाब देने के बाद पत्रकारों से चर्चा में ये बातें कहीं।

 

करीब 800 करोड़ रुपए घोटाले की आशंका

स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि स्वामी आत्मानंद पूरे देश में पूज्यनीय हैं। हम सभी के मन में उनके लिए सम्मान है। पहले ये स्कूल जिन महान हस्तियों के नाम से जाने जाते थे, उनका नाम फिर से स्वामी आत्मानंद से पहले जोड़ा जाएगा। आत्मानंद स्कूलों को लेकर अगर कोई अनियमितता की शिकायत मिलती है, तो उसकी जांच कराई जाएगी। आत्मानंद स्कूलों के पुनर्निर्माण और अन्य मदों में लगभग 800 करोड़ रुपए घोटाले की आशंका है। जहां भी शिकायत प्राप्त होगी, उसकी जांच कराई जाएगी। अकेले राजधानी रायपुर के आर.डी. तिवारी स्कूल में ही लगभग 4.5 करोड़ रुपए बिल्डिंग मरम्मत पर खर्च किए गए, जबकि इतनी राशि में एक नई बिल्डिंग का निर्माण हो जाता।

 

‘पूर्ववर्ती सरकार ने छात्रों के भविष्य के साथ किया खिलवाड़’

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की महान विभूति, शिक्षाविद् और समाज सुधारक और जन जागरण के पुरोधा स्वामी आत्मानंद के नाम पर तत्कालीन सरकार ने प्रदेश में अंग्रेजी और हिन्दी माध्यम उत्कृष्ट स्कूल खोलकर न सिर्फ शिक्षा और विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है, बल्कि स्वामी आत्मानंद जी के नाम को भी धूमिल किया है। इन स्कूलों के संचालन की जिम्मेदारी कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी समिति के जिम्मे सौंपकर भूपेश सरकार ने इसका भविष्य कलेक्टरों की इच्छा पर सौंप दिया था।