छत्तीसगढ़ में 103 लाख टन हुई धान की खरीदी, प्रत्येक केंद्र का दो बार होगा भौतिक सत्यापन
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान, संपादक वीरेंद्र चौधरी
रायपुर। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर 103 लाख टन से अधिक की धान खरीदी हो चुकी है। इस वर्ष 130 लाख टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। अुनमानित लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस बार कुल 26.62 लाख किसानों ने 33.28 लाख हेक्टेयर धान के रकबे का पंजीयन कराया है।
अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती धान के उठाव को लेकर है। उपार्जन केंद्रों से अभी तक करीब 65 लाख टन का ही उठाव हो पाया है। प्रदेश के कई उपार्जन केंद्रों में धान रखने के लिए जगह नही बची है। प्रदेश के उपार्जन केंद्रों से धान का उठाव नही होने को लेकर मुख्य सचिव अमिताभ जैन भी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने खरीदी के साथ धान के उठाव की प्रक्रिया में तेजी लाने और खरीदी प्रक्रिया की समाप्ति के दिन तक प्रत्येक केंद्र का दो बार भौतिक सत्यापन करने को कहा है।
प्रदेश में धान की कटाई व मिंजाई का कार्य पूरा हो चुका है। उपार्जन केंद्रों पर धान की आवक तेजी से हो रही है। बताया जाता है कि उपार्जन केंद्रों में धान रखने के लिए जगह नही होने से टोकन जारी नही किया जा रहा है। आनलाइन टोकन प्राप्त करने में किसानों को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान की खरीदी
राज्य सरकार की ओर से इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के अनुरूप किसानों से 21 क्विंटल प्रति एकड़ के दर से धान की खरीदी हो रही है। खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में किसानों से प्रति एकड़ 15 क्विंटल कामन धान की 2,040 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की दर से खरीदी के साथ उन्हें प्रति एकड़ 9,000 रुपये की इनपुट सब्सिडी दी गई थी, जिसे मिलाकर अधिकतम 39,600 रुपये का भुगतान होता था। इस वर्ष 21 क्विंटल धान की खरीदी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से होने से किसानों को प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान बेचने पर 65,100 रुपये मिलेगा। इस साल धान बेचने पर किसानों को गत वर्ष की तुलना में 25,500 रूपये का अतिरिक्त लाभ होगा। हालांकि 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी के लिए राज्य शासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
सेंट्रल पूल का चावल होने लगा जमा
कस्टम मिलिंग का चावल नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा लिया जा रहा है। एक जनवरी से एफसीआइ में भी सेंट्रल पूल का चावल जमा होने लगा है। मिलरों को बीते वर्ष के कस्टम मिलिंग के शेष चावल भी जमा किया जा रहा है। जिन उपार्जन केंद्रों में धान जमा हैं, मिलरों के साथ कार्ययोजना बनाकर जल्द से जल्द उठाव के लिए निर्देशित किया गया है।