रेलवे के पास पेड़ काटने की कोई विशेषज्ञता है क्या, आप लोगों को पर्यावरण की परवाह है भी या नहीं…

 रेलवे के पास पेड़ काटने की कोई विशेषज्ञता है क्या, आप लोगों को पर्यावरण की परवाह है भी या नहीं…

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

 

बिलासपुर में वंदे भारत डिपो निर्माण के लिए हरे-भरे पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट सख्त

चीफ जस्टिस ने जताई नाराजगी

बिना अनुमति 242 पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट ने जताई कड़ी आपत्ति, रेलवे और राज्य शासन से शपथ पत्र के जरिए मांगा जवाब

 

बिलासपुर। वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए रेलवे जोन बिलासपुर में डिपो निर्माण के लिए बड़ी संख्या में हरे-भरे पेड़ों की कटाई किए जाने पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्त गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पेड़ों की कटाई को लेकर नाराजगी जताई और रेलवे से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब तलब किया। चीफ जस्टिस ने कड़ी टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या रेलवे के पास पेड़ काटने की विशेषज्ञता है?

 

बिलासपुर में कोचिंग डिपो के पास वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डिपो का निर्माण किया जा रहा है। रेलवे ने जहां डिपो बनाने का निर्णय लिया, वहां पूरी तरह हरियाली थी। निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई करनी थी। रेलवे ने वंदे भारत डिपो निर्माण के लिए मई 2024 में वन विभाग से 242 पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी थी। वन विभाग द्वारा अनुमोदन प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन अनुमति मिलने से पहले ही रेलवे अधिकारियों ने पेड़ों की शिफ्टिंग की बजाय सीधे उनकी कटाई शुरू कर दी। इसके चलते 242 में से 160 पेड़ों को काट दिया गया, जबकि 54 पेड़ों को विस्थापित किया गया और 72 पेड़ अब भी स्थल पर पाए गए। पेड़ों में बबूल, मुनगा और अन्य प्रजातियां शामिल थीं।

 

 

बगैर अनुमति इस तरह का काम क्यों किया गया

 

मीडिया रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया था। पिछली शुक्रवार को जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए राज्य शासन व रेलवे के अफसरों से पूछा कि, बगैर अनुमति इस तरह का काम क्यों किया गया। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप लोगों की कोई चिंता है भी या नहीं। बड़ी संख्या में हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर दी गई है। नाराज चीफ जस्टिस ने इस संबंध में रेलवे के अफसरों व राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने के निर्देश दिए हैं।

 

महाधिवक्ता का पक्ष:

 

महाधिवक्ता ने कहा कि पेड़ों को काटने के लिये रेलवे ने राज्य शासन के वन विभाग के अधिकारी डीएफओ से अनुमति मांगी थी। वहीं अधिकारी ने पेड़ों के गणना पत्रक और वृक्ष विदोहन की प्राक्कलन राशि बनाने के लिए रेंजर को निर्देशित कर लेटर जारी किया था। लेकिन, अनुमति के पहले ही रेलवे ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। राज्य शासन की तरफ से वन विभाग के अधिकारी मुख्य वन संरक्षक के दिए गए हलफनामे में बताया गया है कि 242 पेड़ों की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन पहले ही पेड़ों की कटाई की गई। वन विभाग ने बताया 160 पेड़ काटे गए, 54 विस्थापित किए गए और 72 मौजूद मिले। जिसमें बबूल, मुनगा और अन्य प्रजाति के पेड़ काटे गए हैं। गुरुवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में रेलवे की अधिवक्ता को निर्देश देते हुए पेड़ कटाई के संबंध में दो सप्ताह का समय देते हुए शपथ पत्र के माध्यम जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की गई है।