राज्य में लागू नई शराब नीति को हाई कोर्ट से मिली हरी झंडी

 राज्य में लागू नई शराब नीति को हाई कोर्ट से मिली हरी झंडी

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

 

हाई कोर्ट ने कहा- राज्य सरकार को आबकारी नीति बनाने का है अधिकार
इसे नहीं दे सकते चुनौती
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को मिली राहत

बिलासपुर। हाई कोर्ट ने राज्य की आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार को अपनी आबकारी नीति बनाने का पूर्ण अधिकार है।

इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। प्रदेश में शराब की दुकानों का संचालन और वितरण पहले 10 कंपनियों को सौंपा गया था। हाल ही में राज्य सरकार ने अपनी आबकारी नीति में बदलाव करते हुए इस कार्य को स्वयं के नियंत्रण में ले लिया है। शराब के वितरण और बिक्री को अपने नियंत्रण में लेने के साथ ही राज्य सरकार ने कंपनियों से जमा की गई राशि वापस लौटा दी है। साथ ही कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिया है। राज्य शासन द्वारा आबकारी नीति में किए गए बदलाव को चुनौती देते हुए नार्थ ईस्ट फीड एंड एग्रो एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कंपनी की ओर बताया गया था कि, उन्होंने मार्च 2025 तक का अनुबंध किया है और इस अवधि से पहले उनका लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि 10 में से आठ कंपनियों ने स्वेच्छा से लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। कंपनियों द्वारा लाइसेंस सरेंडर करने की स्थिति में राज्य सरकार ने जमा राशि को वापस लौटा दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता के जवाब सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन की नई आबकारी नीति को सही ठहराते हुए कंपनी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि राज्य शासन को अपनी आबकारी नीति बनाने का पूरा अधिकार है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।