छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की तलाक के केस में टिप्पणी, एक छत के नीचे अलग कमरे में सोना पति के साथ क्रूरता
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
छत्तीगसढ़ हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने सुनाया फैसला।
बेमेतरा के दंपती के बीच चल रहा था विवाद।
बेमेतरा फैमिली कोर्ट में हो गया था तलाक।
पत्नी ने हाईकोर्ट में दाखिल की थी याचिका।
बिलासपुर। पति-पत्नी के संबंधों में खटास के बाद पति ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की गुहार लगाई थी। दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क को सुनने के बाद डिविजन बेंच ने पति को विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी है। तलाक की याचिका को स्वीकार करते हुए डिविजन बेंच ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि एक ही छत के नीचे साथ रहने के बावजूद बिना किसी पर्याप्त कारण के पत्नी द्वारा घर के अलग कमरे में सोना भी पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। डिविजन बेंच ने बेमेतरा के फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरे में रहते रहे
विवाद के बाद पति और घरवालों की समझाइश के बाद पत्नी साथ रहने को राजी हो गई फिर कुछ दिनों बाद फिर विवाद शुरू कर दिया। इस दौरान उसने उसने पति के साथ रहने से ही इन्कार कर दिया। इस पर स्वजनों ने सामाजिक बैठक बुलाई। कोई हल नहीं निकला और सुलह भी नही हुआ। मनमुटाव के चलते पति पत्नी एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे।
समझाइश के बाद भी नहीं बदला व्यवहार
पति-पत्नी के बीच विवाद को सुलझाने के लिए घर वालों ने पहल करते हुए दोनों पक्षों की कई बार बैठकें बुलाई। आखिर में कहा गया कि दोनों बेमेतरा में जाकर रहें। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। जनवरी 2022 से दोनों साथ रहने लगे, लेकिन पत्नी यहां भी अलग कमरे में सोती थी। पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन नहीं गुजारने के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की डिक्री के लिए फैमिली कोर्ट में मामला दायर किया।
पत्नी ने कहा- पति के आरोप बेबुनियाद
पत्नी ने अपने लिखित बयान में आरोपों से इन्कार किया और पति का मामला खारिज करने की मांग की। पत्नी ने कोर्ट को बताया कि शादी की रात उनके शारीरिक संबंध बने। शादी के बाद अक्टूबर 2021 तक वह और उसके पति ने अच्छे माहौल में शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन बिताया।
दोनों साथ रहते थे। जिरह के दौरान पत्नी ने बताया कि उसने पति को कहा था कि उसकी ममेरी बहन के साथ व्यवहार पसंद नहीं आया। लेकिन यह नहीं बता सकी कि पति का ममेरी बहन के साथ कौन सा व्यवहार पसंद नहीं आया। पति ने कहा है कि पत्नी को उसकी भाभी के साथ भी उसके संबंधों पर संदेह था। ऐसे आरोप सभ्य व्यक्ति के लिए सहनीय नहीं कहे जा सकते।
मामले की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी थी। फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद डिविजन बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ पत्नी की याचिका खारिज कर दी है।