अनजान लड़कों से दोस्ती के बाद कई लड़कियां कम उम्र में बहक जाती हैं। 1200 से अधिक केस डायरियों पर अधिकारी ने की स्टडी।
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
केस स्टडी के दौरान सामने आई चौंकाने वाली जानकारियां।
आईपीएस अधिकारी कृष्ण लालचंदानी ने की केस स्टडी।
इंदौर। इंदौर में कम उम्र में ही लड़कियों द्वारा माता-पिता का घर छोड़ने को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। आइपीएस अधिकारी द्वारा 1200 से अधिक केस की स्टडी में सामने आया है कि इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अनजान लड़कों से दोस्ती के बाद कई लड़कियां कम उम्र में बहक जाती हैं और घर छोड़ देती हैं। माता-पिता द्वारा उनकी अनदेखी भी इसका एक कारण है।
रिपोर्ट कहती है…
जो माता-पिता कामकाजी होने के कारण बच्चियों पर ध्यान नहीं देते, वे बच्चियां जल्दी लड़कों के संपर्क में आ जाती हैं।
इंस्टाग्राम, फेसबुक पर लड़कों से दोस्ती हो जाती है। रील देखकर रियल लाइफ को भूल जाती हैं।
कैलोद हाला, लसूड़िया मौरी, बाणगंगा जैसे क्षेत्र में सैकड़ों परिवारों में पति-पत्नी कारखाना, निर्माण कंपनी में काम करते हैं। उनकी बच्चियां भी घरों से गई हैं।
माता-पिता की निगरानी न होने के कारण सहेली के माध्यम से बहकावे में आकर ये लड़कों के संपर्क में आ जाती हैं।
एकल परिवार भी ऐसा होने की एक बड़ी वजह है।
इंटरनेट मीडिया पर दोस्ती के बाद ये जिन लड़कों के साथ जाती हैं, उनमें से केवल पांच प्रतिशत ही विवाह करके घर बसा पाती हैं। शेष 95 प्रतिशत लड़कियां लड़के की वस्तुस्थिति देखकर उल्टे पांव माता-पिता के घर लौट आती हैं। यह स्टडी रिपोर्ट आईपीएस अधिकारी कृष्ण लालचंदानी ने जांच-पड़ताल के बाद तैयार की है। पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता ने सोमवार को नगरीय सीमा के अफसरों के समक्ष इस रिपोर्ट को देखा और जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश जारी किए।
तीन साल के डाटा पर की गई स्टडी
एसीपी (विजयनगर) ने तीन वर्ष (2022, 2023 व 2024 अब तक) के डाटा पर स्टडी की
1200 से केस डायरियों का अवलोकन कर विश्लेषण किया।
अपह्नत लड़की, अपहरणकर्ता लड़के तथा दोनों के स्वजन से बात की।
घर छोड़ जाने वालीं 90 प्रतिशत लड़कियां 12 से 18 वर्ष की।
बाणगंगा, चंदननगर, आजादनगर, राजेंद्रनगर, द्वारकापुरी, एरोड्रम, हीरानगर, भंवरकुआं व राऊ थाने ऐसे मामलों के हाट स्पाॅट हैं।
छोटी ग्वालटोली, सराफा, सेंट्रल कोतवाली, पंढरीनाथ, एमजी रोड थानों में कम प्रकरण दर्ज हुए।
ज्यादातर लड़कियां बाहरी चकाचौंध और लुभावने वादों के कारण घर से गई थीं।
कथित प्रेमी की खराब आर्थिक स्थिति, रहन-सहन व घर की स्थिति देख ज्यादातर लौट आईं।
गुम लड़कियां आसानी से मिल गईं। आंकड़ों में 93 प्रतिशत को बरामद करना दर्शाया है।
मोबाइल के कारण एक सप्ताह में ही पुलिस ने उन्हें ढूंढ लिया।
ज्यादातर लड़कियां गुजरात, मंडीदीप, पीथमपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में पाई गईं।
घटनाएं रोकने के लिए की गई केस स्टडी
डीसीपी जोन-2 अभिनय विश्वकर्मा के मुताबिक स्टडी नाबालिग लड़कियों के अगवा/गुम होने की घटनाएं रोकने के लिए की गई है। इसके लिए नगरीय सीमा के वर्ष 2022, 2023 और 2024 के आंकड़े निकाले गए। इनमें से 1200 से ज्यादा केस डायरियों का अवलोकन किया, जो अपहरण और दुष्कर्म से संबंधित थीं। इनमें 12 वर्ष की बच्चियां भी शामिल हैं, जिनकी युवकों से इंस्टाग्राम और फेसबुक पर दोस्ती हुई थी। चौंकाने वाला आंकड़ा उन लड़कियों का है, जो प्रेम विवाह करने में असफल रहीं। रिपोर्ट के मुताबिक केवल पांच प्रतिशत लड़कियों ने घर बसाया, शेष वस्तुस्थिति से सामना होने पर लौट आईं।
हाट स्पाट चिह्नित कर शुरू करेंगे जागरूकता अभियान
इस स्टडी रिपोर्ट से पुलिस का काम काफी आसान हो जाएगा। पहले कॉलेज, हॉस्टल से गुम होने की धारणा थी, लेकिन अब स्थिति स्पष्ट हो गई है। पुलिस हाट स्पाॅट चिह्नित कर ऐसे क्षेत्रों में जागरूकता अभियान शुरू करेगी। लड़कियां जिन युवकों के साथ गईं, उनमें से कईं युवकों ने बताया कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं थी।
अमित सिंह, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था)