छत्तीसगढ़ बिलासपुर शहर की बेटी निशु सिंह ने दुनिया की सबसे उंची चोंटी माउंट एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
माउंट एवरेस्ट सबमिट जाते समय ट्रैफिक जाम और बहुत ठंड थी, क्योंकि उसी दिन बहुत सारे क्लाइंबर्स सबमिट पर जा रहे थे इसीलिए एक ही रूट में बहुत लोग होने के कारण ट्रैफिक जाम हो गया था।
बिलासपुर। शहर की बेटी निशु सिंह ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर शहर का नाम रोशन किया है। निशु ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए यह साहसिक उपलब्धि हासिल की। आक्सीजन की कमी, तेज तूफान और बर्फबारी जैसी चुनौतियों ने उनकी चढ़ाई को और भी कठिन बना दिया था।
निशु ने अपने इस साहसिक अभियान के दौरान कई विपरीत परिस्थितियों का सामना किया। बेस कैंप से आगे बढ़ते हुए उन्हें आक्सीजन की कमी से जूझना पड़ा। इस दौरान, तेज हवाओं और बर्फबारी ने उनकी कठिनाई को और बढ़ा दिया। लेकिन निशु ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस से इन सभी चुनौतियों को पार किया।
निशु के इस उपलब्धि पर शहर में जश्न का माहौल है। उनके परिवार और दोस्तों ने इस गर्व के क्षण को साझा करते हुए कहा, “निशु ने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से यह साबित कर दिया कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
वह हमारी प्रेरणा है।” निशु ने अपने इस अद्वितीय सफर के बारे में बताया, “माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करना मेरा सपना था। यह सफर आसान नहीं था, लेकिन मेरे माता-पिता और प्रशिक्षकों के सहयोग और समर्थन ने मुझे इस चुनौती को पूरा करने की हिम्मत दी। तिरंगा लहराते हुए मुझे गर्व और खुशी का अहसास हुआ।” शहरवासियों ने भी निशु की इस उपलब्धि को सराहा और उन्हें सम्मानित करने की घोषणा की है। निशु सिंह की यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे बिलासपुर सहित प्रदेश के लिए भी गर्व का क्षण है।
कठिन यात्रा को लेकर निशु की जुबानी
निशु सिंह के पिता विपिन कुमार सिंह रिटायर्ड सीआरपीएफ जवान हैं। वर्तमान में प्राइवेट बैंक में सिक्युरिटी गार्ड के रूप में काम करते हैं। मां मुनी देवी और छोटे भाई रवि और विशाल सिंह ने हमेशा निशु का उत्साह बढ़ाया है। सीएमडी कालेज से पासआउट निशु बताती हैं कि उसने दो अप्रैल को बिलासपुर से काठमांडू नेपाल के लिए रवाना हुई। माउंट एवरेस्ट का सफर छह अप्रैल से प्रारंभ हुआ।
इस दौरान खतरनाक लुक्ला एयरपोर्ट से यात्रा के बाद आठ दिन ट्रैक करते हुए हम एवरेस्ट के बेस कैंप पहुंचे। यहां एवरेस्ट क्लाइंब करने की ट्रेनिंग शुरू हुई जिसमें हमें कुछ पर्वतों पर हाइट गैन करवाया गया। कैंप तीन से कैंप चार तक हम 19 तारीख को निकले जिसमें बहुत तूफान, स्नोफाल और ठंडी हवाओं का सामना किया। इसके कारण चढ़ना बहुत मुश्किल हो गया था।
लेकिन नौ घंटे की सफलता के बाद हम कैंप चार पहुंचे। कैंप चार में भी मौसम ठीक नहीं होने के कारण स्नोफॉल लगातार हो रही थी और हवा बहुत तेज हो रही थी जिसमे हमें पूरी रात कैंप चार पर बितानी थी, जिसके कारण हम अच्छे से सो नहीं पाए और ठंड भी बहुत लग रही थी पर हम 21 मई की रात तीन बजे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के लिए निकल गए।
माउंट एवरेस्ट सबमिट जाते समय ट्रैफिक जाम और बहुत ठंड थी, क्योंकि उसी दिन बहुत सारे क्लाइंबर्स सबमिट पर जा रहे थे इसीलिए एक ही रूट में बहुत लोग होने के कारण ट्रैफिक जाम हो गया था। इसके कारण हम जल्दी से सबमिट पर नहीं पहुंच पा रहे थे आक्सीजन खत्म होने के डर भी था एवरेस्ट की चोटी से 26 हजार 200 फीट तक पहुंच पाई और भारत का तिरंगा लहराया। जिस एल्टीट्यूड पर हम थे अचानक मौसम बहुत ही खराब हो गया जिसकी वजह से हमे मैसेज मिला की ऊपर न जाकर नीचे वापस आ जाए।