जैन मुनि विद्यासागर के अंतिम दर्शन करने आ रहे 3 लोगों की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत

 जैन मुनि विद्यासागर के अंतिम दर्शन करने आ रहे 3 लोगों की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी 

राजनांदगांव , राजनांदगांव से एक बड़ी खबर आ रही है। जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज के अंतिम दर्शन के लिए आ रहे तीन लोगों की सड़क हादसे में जान चली गयी। घटना में मृत तीनों लोग सतना से आ रहे थे। घटना सालेकसा महाराष्ट्र के पास की बतायी जा रही है। जानकारी के मुताबिक पानगांव मुंडीपार के बीच नहर में अनियंत्रित होकर गाड़ी घुस गयी।

घटना में मृत तीन लोगों में आशीष जैन, जितेंद्र जैन एवम एक अन्य शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक जिस गाड़ी से हादसा हुआ, उसमें हादसे के वक्त 6 लोग सवार थे । घटना के बाद आनन-फानन में गाड़ी से सभी घायलों को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक तीन लोगों की जान चली गयी थी। सालेकसा पुलिस जांच में जुटी हुई है।

पुलिस के मुताबिक ये भक्त संत आचार्य विद्यासागर महाराज के अंतिम दर्शन के लिए मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले से छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के लिए निकले थे। इस बीच गोंदिया जिले के सालेकसा तहसील के पनगांव में कार अनियंत्रित होकर पुजारीटोला बांध नहर में जा गिरी। नहर में पानी होने के कारण ये तीनों श्रद्धालु पानी में डूब गये।

जैन मुनि पंचतत्व में विलीन
देर रात जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज ब्रह्मलोक गमन कर गये थे। रविवार की शाम जैन मुनि विदयासागर जी महाराज पंचतत्व में विलीन हो गये। आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ली। इस मौके पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आधे दिन का राजकीय शोक का ऐलान किया गया था। आपको बता दें कि विद्यासागर महाराज पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। पिछले 6 महीनों से वो डोंगरगढ़ में ही रुके हुए थे। तीन दिनों के उपवास करने के बाद, उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। उनके शरीर त्यागने के बाद बड़ी संख्या में लोग न केवल छत्तीसगढ़ आसपास के राज्यो से भी अंतिम दर्शन के लिए पहुचे। अंतिम संस्कार के पहले विद्यासागर महाराज के पार्थिव शरीर को पालकी में बैठकर परिक्रमा कराई गई। अंतिम संस्कार में चंदन लकड़ी, सूखे नारियल का टुकड़ा और शुद्ध घी से किया गया। इस दौरान कई गणमान्य, राजनेता व अलग-अलग वर्ग और संप्रदाय के लोग मौजूद थे। आपको बता दें कि जैन मुनि विद्यासागर महराज को हर धर्म-संप्रदाय के लोग मानते थे।