सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पुलिस विभाग के सिपाही की बर्खास्तगी को रखा बरकरार, शादी से जुड़ा है पूरा मामला
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
छत्तीसगढ़ के एक पुलिस कांस्टेबल के सरकार से इजाजत बगैर दूसरी शादी करने पर हुई बर्खास्तगी के छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की खंडपीठ ने जनवरी 2020 में पारित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। कांस्टेबल ने अपने आवेदन में कहा था कि उसकी पहली शादी 2005 में हुई थी।
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के एक पुलिस कांस्टेबल के सरकार से इजाजत बगैर दूसरी शादी करने पर हुई बर्खास्तगी के छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की खंडपीठ ने जनवरी, 2020 में पारित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। साथ ही कहा कि सजा के तौर पर सेवा से बर्खास्त करने का फैसला ‘महतारु बधाई’ की याचिका पर लिया गया था।
इस नियम के तहत हुई थी कार्रवाई
कांस्टेबल ने सिविल सेवा आचरण नियमों की धारा 22 के पैरा एक और दो का उल्लंघन किया था। इन प्रविधानों के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी पत्नी के जीवित रहते सरकार से अनुमति लिए बगैर शादी नहीं कर सकता है।
क्या है मामला?
उल्लेखनीय है कि पुलिस में बतौर कांस्टेबल नियुक्त हुए व्यक्ति ने अपने सेवा रिकार्ड में नामिनी के तौर पर अपनी दूसरी पत्नी और नाबालिग बच्चे का नाम दर्ज कराया था। कांस्टेबल ने अपने आवेदन में कहा था कि उसकी पहली शादी 2005 में हुई थी, लेकिन जब कई सालों तक कोई संतान नहीं हुई तो उसकी पत्नी ने उसे दूसरी शादी की अनुमति दे दी। उसके बाद ही उसने दूसरी शादी की और उसकी अब एक बेटी है।