मन की बात:पहलगाम के गुनहगारों को चेतावनी से लेकर आजादी की लड़ाई तक, पढ़ें पीएम मोदी ने क्या-क्या कहा

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मन की बात’ को संबोधित किया। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कई मुद्दों पर बात की। पीएम मोदी का यह कार्यक्रम ऐसे समय प्रसारित हुआ, जब देश पहलगाम आतंकी हमले को लेकर गुस्से में है और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कड़ी कार्रवाई का इंतजार कर रहा है।
नई दिल्ली..प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘साल 1917, अप्रैल और मई के यही दो महीने – देश में आजादी की एक अनोखी लड़ाई लड़ी जा रही थी। अंग्रेजों के अत्याचार उफान पर थे। गरीबों, वंचितों और किसानों का शोषण अमानवीय स्तर को भी पार कर चुका था। बिहार की उपजाऊ धरती पर ये अंग्रेज किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर कर रहे थे। नील की खेती से किसानों के खेत बंजर हो रहे थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को इससे कोई मतलब नहीं था। ऐसे हालात में, 1917 में गांधी जी बिहार के चंपारण पहुंचे हैं। किसानों ने गांधी जी को बताया- हमारी जमीन मर रही है, खाने के लिए अनाज नहीं मिल रहा है। लाखों किसानों की उस पीड़ा से गांधी जी के मन में एक संकल्प उठा। वहीं से चंपारण का ऐतिहासिक सत्याग्रह शुरू हुआ। ‘चंपारण सत्याग्रह’ ये बापू द्वारा भारत में पहला बड़ा प्रयोग था। बापू के सत्याग्रह से पूरी अंग्रेज हुकूमत हिल गई। अंग्रेजों को नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करने वाले कानून को स्थगित करना पड़ा। ये एक ऐसी जीत थी जिसने आजादी की लड़ाई में नया विश्वास फूंका। इस सत्याग्रह में बड़ा योगदान बिहार के एक और सपूत का भी था, जो आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। वो महान विभूति थे – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद । उन्होंने ‘चंपारण सत्याग्रह’ पर एक किताब भी लिखी – ‘Satyagraha in Champaran’, ये किताब हर युवा को पढ़नी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर मैं कहूं कि क्या आपने कर्नाटक के सेब का स्वाद चखा है? तो आप हैरान हों जाएंगे। आमतौर पर हम समझते हैं कि सेब की पैदावार पहाड़ों में ही होती है। लेकिन कर्नाटक के बागलकोट में रहने वाले श्रीशैल तेली जी ने मैदानों में सेब उगा दिया है। दरअसल श्रीशैल तेली को खेती का शौक था तो उन्होंने सेब की खेती को भी आजमाने की कोशिश की और उन्हें इसमें सफलता भी मिल गई। आज उनके लगाए सेब के पेड़ों पर काफी मात्रा में सेब उगते हैं जिसे बेचने से उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हमारे 140 करोड़ नागरिक हैं, उनका सामर्थ्य है, उनकी इच्छा शक्ति है। और जब करोड़ों लोग, एक-साथ किसी अभियान से जुड़ जाते हैं, तो उसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है। इसका एक उदाहरण है ‘एक पेड़ मां के नाम’ – ये अभियान उस मां के नाम है, जिसने हमें जन्म दिया और ये उस धरती मां के लिए भी है, जो हमें अपनी गोद में धारण किए रहती है।’
उन्होंने कहा कि 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर इस अभियान के एक साल पूरे हो रहे हैं। इस एक साल में इस अभियान के तहत देश-भर में मां के नाम पर 140 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। भारत की इस पहल को देखते हुए, देश के बाहर भी लोगों ने अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगाए हैं। आप भी इस अभियान का हिस्सा बनें, ताकि एक साल पूरा होने पर, अपनी भागीदारी पर आप गर्व कर सकें।
पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात के अहमदाबाद शहर में पिछले कुछ वर्षों में 70 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। इन पेड़ों ने अहमदाबाद में हरित क्षेत्र काफी बढ़ा दिया है। इसके साथ-साथ, साबरमती नदी पर रिवर फ्रंट बनने से और कांकरिया झील जैसे कुछ झीलों के पुनर्निर्माण से यहां वॉटर बॉडीज की संख्या भी बढ़ गई है। न्यूज रिपोर्ट कहती हैं कि बीते कुछ वर्षों में अहमदाबाद ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ाई लड़ने वाले प्रमुख शहरों में से एक हो गया है। इस बदलाव को, वातावरण में आई शीतलता को, वहां के लोग भी महसूस कर रहे हैं। अहमदाबाद में लगे पेड़ वहां नई खुशहाली लाने की वजह बन रहे हैं। मेरा आप सबसे फिर आग्रह है कि धरती की सेहत ठीक रखने के लिए, क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने के लिए और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए, पेड़ जरूर लगाएं ‘एक पेड़ – मां के नाम’।
उन्होंने कहा कि आज भारत का युवा विज्ञान, तकनीक और इनोवेशन की ओर बढ़ रहा है। ऐसे इलाके जिनकी पहचान पहले पिछड़ेपन और दूसरे कारणों से होती थी, वहां भी युवाओं ने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किये हैं, जो हमें, नया विश्वास देते हैं। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा का विज्ञान केंद्र आजकल सबका ध्यान खींच रहा है। कुछ समय पहले तक, दंतेवाड़ा का नाम केवल हिंसा और अशांति के लिए जाना जाता था, लेकिन अब वहां, एक विज्ञान केंद्र, बच्चों और उनके माता-पिता के लिए उम्मीद की नई किरण बन गया है। इस विज्ञान केंद्र में जाना बच्चों को खूब पसंद आ रहा है। वे अब नई-नई मशीनें बनाने से लेकर तकनीक का उपयोग करके नए उत्पाद बनाना सीख रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले मैंने गुजरात विज्ञान केंद्र में भी विज्ञान गैलेरी का उद्घाटन किया था। इनसे ये झलक मिलती है कि आधुनिक विज्ञान की संभावना क्या है, विज्ञान हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है। मुझे जानकारी मिली है कि इनको लेकर वहां बच्चों में बहुत उत्साह है। विज्ञान और इनोवेशन के प्रति ये बढ़ता आकर्षण, जरूर भारत को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने में बहुत अहम् होती है -आपकी सतर्कता, आपका सचेत रहना। इस सतर्कता में अब आपको अपने मोबाइल के एक स्पेशल एप से मदद मिल सकती है। ये एप आपको किसी प्राकृतिक आपदा में फंसने से बचा सकते हैं और इसका नाम भी है ‘सचेत’। ‘सचेत एप’, भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने तैयार किया है। बाढ़, चक्रवात, भूस्खनल, सुनामी, जंगलों की आग, हिम-स्खलन, आंधी, तूफान या फिर बिजली गिरने जैसी आपदाएं हो, ‘सचेत एप’ आपको हर प्रकार से सूचित और सुरक्षित रखने का प्रयास करता है। इस एप के माध्यम से आप मौसम विभाग से जुड़े अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। खास बात ये है कि ‘सचेत एप’ क्षेत्रीय भाषाओं में भी कई सारी जानकारियां उपलब्ध कराता है।
उन्होंने कहा कि मुझे अफ्रीका के इथोपिया में प्रवासी भारतीयों के एक अभिनव प्रयास का पता चला है। इथोपिया में रहने वाले भारतीयों ने ऐसे बच्चों को इलाज के लिए भारत भेजने की पहल की है, जो जन्म से ही हृदय की बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसे बहुत से बच्चों की भारतीय परिवारों द्वारा आर्थिक मदद भी की जा रही है। अगर किसी बच्चे का परिवार पैसे की वजह से भारत आने में असमर्थ है, तो इसका भी इंतजाम, हमारे भारतीय भाई-बहन कर रहे हैं। कोशिश ये है कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे इथोपिया के हर जरुरतमन्द बच्चे को बेहतर इलाज मिले। प्रवासी भारतीयों के इस नेक कार्य को इथोपिया में भरपूर सराहना मिल रही है। कुछ ही दिन पहले भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए बड़ी मात्रा में वैक्सीन भी भेजी है। ये वैक्सीन, रेबीज, टिटनेस, हेपेटाइटिस बी और इंफ्लुएंजा जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव में काम आएगी। भारत ने इसी हफ्ते नेपाल के आग्रह पर वहां दवाईयां और वैक्सीन की बड़ी खेप भेजी है। इनसे थैलेसेमिया और सिकल सेल डिसीज के मरीजों को बेहतर इलाज सुनिश्चित होगा। जब भी मानवता की सेवा की बात आती है, तो भारत, हमेशा इसमें आगे रहता है और भविष्य में भी ऐसी हर जरूरत में हमेशा आगे रहेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले महीने म्यांमार में आए भूकंप की खौफनाक तस्वीरें आपने जरूर देखी होंगी। भूकंप से वहां बहुत बड़ी तबाही आई, मलबे में फंसे लोगों के लिए एक-एक सांस, एक-एक पल कीमती था। इसलिए भारत ने म्यांमार के हमारे भाई-बहनों के लिए तुरंत ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया। वायुसेना के विमान से लेकर नौसेना के जहाज तक म्यांमार की मदद के लिए रवाना हो गए। वहां भारतीय टीम ने एक अस्पताल तैयार किया। इंजीनियरों की एक टीम ने अहम् इमारतों और इंफ्रास्ट्रक्चर को हुए नुकसान का आकलन करने में मदद की। भारतीय टीम ने वहां कंबल, टेंट, स्लीपिंग बैग, दवाइयां, खाने-पीने के सामान के साथ ही और भी बहुत सारी चीजों की आपूर्ति की। इस दौरान भारतीय टीम को वहाँ के लोगों से बहुत सारी तारीफ भी मिली।
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत एक वैश्विक अंतरिक्ष पावर बन चुका है। हमने एक साथ 104 सैटेलाइट का लॉन्च करके रिकॉर्ड बनाया है। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले पहले देश बने हैं। भारत ने मंगल ऑर्बिटर मिशन का प्रक्षेपण किया है और हम आदित्य – एल1 मिशन के जरिए सूरज के काफी करीब तक पहुंचे हैं। आज भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावी लागत लेकिन सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है। दुनिया के कई देश अपनी सैटेलाइट और अंतरिक्ष मिशन के लिए ISRO की मदद लेते हैं।
उन्होंने कहा कि अब भारत ने अपने अंतरिक्ष सेक्टर को निजी सेक्टर के लिए भी खोल दिया है। आज बहुत से युवा अंतरिक्ष स्टार्टअप में नए झंडे लहरा रहे हैं। 10 साल पहले इस क्षेत्र में सिर्फ एक कंपनी थी, लेकिन आज देश में सवा तीन सौ से ज्यादा अंतरिक्ष स्टार्टअप काम कर रहे हैं। आने वाला समय अंतरिक्ष में बहुत सारी नई संभावनाएं लेकर आ रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि दो दिन पहले हमने देश के महान वैज्ञानिक डॉ० के. कस्तूरीरंगन जी को खो दिया है। जब भी कस्तूरीरंगन जी से मुलाकात हुई, हम भारत के युवाओं की प्रतिभा, आधुनिक शिक्षा, अंतरिक्ष विज्ञान ऐसे विषयों पर काफी चर्चा करते थे। विज्ञान, शिक्षा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाई देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व में ISRO को एक नई पहचान मिली।
उन्होंने कहा कि डॉ. के. कस्तूरीरंगन जी ने देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। डॉ० कस्तूरीरंगन, 21वीं सदी की आधुनिक जरूरतों के मुताबिक दूरगामी शिक्षा का विचार लेकर आए थे। देश की निःस्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के हम लोगों में जो आक्रोश है, वो आक्रोश पूरी दुनिया में है। इस आतंकी हमले के बाद लगातार दुनिया भर से संवेदनाएं आ रही हैं। मुझे भी वैश्विक नेताओं ने फोन किए हैं, पत्र लिखे हैं, संदेश भेजे हैं। इस जघन्य तरीके से किए गए आतंकी हमले की सब ने कठोर निंदा की है। उन्होंने मृतकों के परिवारजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। पूरा विश्व, आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में, 140 करोड़ भारतीयों के साथ खड़ा है। मैं पीड़ित परिवारों को फिर भरोसा देता हूं कि उन्हें न्याय मिलेगा, न्याय मिलकर रहेगा। इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा।