अमृतपाल सिंह की रिहाई पर छाए संकट के बादल, पंजाब सरकार का नया बिल बढ़ा सकता है मुश्किलें

 अमृतपाल सिंह की रिहाई पर छाए संकट के बादल, पंजाब सरकार का नया बिल बढ़ा सकता है मुश्किलें

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार

पंजाब की खडूर साहिब सीट से अमृतपाल सिंह की हिरासत की अवधि को 23 अप्रैल को दो साल हो जाएंगे। पंजाब सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क किया है ताकि अमृतपाल की हिरासत को और बढ़ाया जा सके। अगर NSA के तहत उसकी हिरासत नहीं बढ़ाई जाती है तो सांसद खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में कार्रवाई हो सकती है।

 

अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है ।

अमृतसर। खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत की अवधि खत्म होने जा रही है। 23 अप्रैल को अमृतपाल सिंह को दो साल हो जाएंगे। सांसद को पिछले दो सालों से असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है।

लेकिन अब सूचना मिल रही है कि सरकार उनकी डिटेंशन को और बढ़ाना चाहती है। इसके लिए पंजाब के गृह विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क किया है। हालांकि, इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पर सरकार को क्या जवाब दिया है।

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अगर नेशनल सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत अमृतपाल को डिब्रुगढ़ में ही रखने की इजाजत नहीं मिलती तो उसके खिलाफ यूएपीए के अधीन दर्ज केस में कार्रवाई होगी।

क्या है द ट्रांसफर ऑफ प्रिजनर्स संशोधन बिल?

ज्ञात हो कि पंजाब सरकार ने मार्च महीने में ही एक बिल द ट्रांसफर ऑफ प्रिजनर्स संशोधन बिल 2025 पारित किया था जिसमें विचाराधीन कैदियों को अन्य राज्यों की जेलों में रखने का प्राविधान किया गया था। हालांकि, इस बिल पर अभी तक राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं इसलिए यह एक बाधा बन सकता है।

पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अमृतपाल सिंह जिसका NSA के अधीन दो साल का कार्यकाल 23 अप्रैल को पूरा हो रहा है को पंजाब में वापस लाने और उसे वहीं रखने को लेकर हाई लेवल पर चर्चा चल रही है।

सरकार गृह मंत्रालय से संपर्क में हैं। पंजाब के गृह विभाग ने उन्हें इस बाबत लिखकर भी भेजा गया है कि अमृतपाल की नेशनल सुरक्षा अधिनियम के अधीन डिटेंशन को बढ़ा दिया जाए। लेकिन एनएसए से संबंधित एक्ट ही इसमें बाधा है जिसमें कहा गया है कि किसी को दो साल से ज्यादा एनएसए के अधीन नहीं रखा जा सकता।

UAPA भी बनेगा अमृतपाल सिंह की मुश्किल

ऐसे में अमृतपाल के खिलाफ यूएपीए के अधीन दर्ज केस को भी उन्हें डिब्रुगढ़ में रखने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। पंजाब पुलिस ने फरीदकोट के हरी नौ गांव के एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले में खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह और अन्य आरोपियों के खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) लगाया।

पिछले साल 10 अक्टूबर को तीन हमलावरों ने हरी नौ गांव में गुरप्रीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में आतंकवादी अर्श डल्ला को भी आरोपी बनाया गया है। 23 अक्टूबर को कोटकपूरा पुलिस ने एफआईआर में बीएनएस की धारा 111 (संगठित अपराध) जोड़ दी थी।

कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत आरोपित सांसद अपने नौ सहयोगियों के साथ असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। पुलिस ने दावा किया कि मामले में नये खुलासे के बाद उन्होंने यूएपीए लगाया।

सूत्रों ने दावा किया कि चूंकि पुलिस को 90 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर अदालत में चालान पेश करने में कठिनाई हो रही थी, इसलिए उन्होंने आरोपियों को डिफ़ाल्ट जमानत मांगने से रोकने के लिए यूएपीए लगाने का फैसला किया। अब अमृतपाल की डिब्रुगढ़ जेल में डिटेंशन को लेकर इस केस का उपयोग किया जा सकता है।

बिल पर राष्ट्रपति की मुहर बाकी

पंजाब सरकार ने 28 मार्च को ही द ट्रांसफर ऑफ प्रिजनर्स संशोधन बिल, 2025 पारित करवाया था। जिसमें कहा गया था कि किसी भी विचाराधीन कैदी को दूसरे राज्य की जेल में रखा जा सकता है। लेकिन इसके लिए संबंधित राज्य की अनुमति लेनी जरूरी है।

यह बिल राष्ट्रपति की मुहर लगवाने के लिए भेजा गया है। इससे पहले केवल कैदियों को ही दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने का प्राविधान था। अमृतपाल के साथ 9 से ज्यादा लोगों को एनएसए के अधीन डिब्रुगढ़ जेल में रखा गया था । उनके सभी साथियों को पंजाब में वापिस लाया जा चुका है।