महाकुंभ में बदल गया बॉलीवुड की इस हीरोइन का नाम, मिला किन्नर अखाड़े का ये बड़ा पद, एक समय था जब शाहरुख सलमान जैसे सुपरस्टार को डांटती थी।
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
कई लोग नाम, पैसा, शोहरत, दौलत औऱ ग्लैमर के पीछे भागते रहते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी जिनको ये सब चीजें मिलने के बाद ये सब उन्हें बेकार लगने लगता है. लोगों को उसी दौलत और ग्लैमर…और पढ़ें
प्रयागराज: महाकुंभ में लगातार नए महामंडलेश्वर जोड़े जा रहे हैं. निरंजनी अखाड़ा की तरफ से पांच नए महामंडलेश्वर बनाए गए है. किन्नर अखाड़ा की तरफ से भी 6 महामंडलेश्वर बनाए गए जिसमें बॉलीवुड की 90 के दशक की बेहतरीन अभिनेत्री ममता कुलकर्णी भी शामिल हैं. महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता कुलकर्णी का नाम भी बदल जाएगा.
बदल गया इनका नाम
फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बाद लगभग 23 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद ममता कुलकर्णी शनिवार को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई. महामंडलेश्वर बनने से पहले उन्होंने अपनी सन्यास बनने की पूरी परंपरा को निभाया. अपना पिंडदान किया. इसके बाद इनका नया नाम यमाई माता नंदन गिरी हो गया. उन्होंने लोकल 18 के जरिए बताया कि बॉलीवुड के ग्लैमर की दुनिया में वह नहीं जाना चाहेंगी और जहां सनातन धर्म की बात होगी वहां सनातन धर्म की बात अवश्य रखेंगी.
हो गईं थी भावुक
किन्नर अखाड़े की तरफ से शनिवार को 6 नए महामंडलेश्वर बनाए गए जिसमें ममता कुलकर्णी का नाम बदलकर यमाई माता नंदन गिरी हो गया. इस दौरान अभिषेक के समय माता नंदन गिरी की आंखों में आंसू देखा गया. इस पर इन्होंने मीडिया के जरिए स्पष्ट किया कि ये खुशी के आंसू हैं कि किस प्रकार भगवान महादेव के चरणों में अपने आप को समर्पित कर दे रही हैं. उन्होंने बताया कि 23 वर्षों में उन्होंने 12 वर्ष कठोर तपस्या की है जिसमें ध्यान चक्र तक पहुंची. एक महीने उन्होंने केवल जल पीकर ही अपने आप को रखा और कहा कि सन्यास धारण करने से पहले शरीर को पूरी तरह पवित्र करना होता है. खुद को अतीत और मोह माया के बंधन से दूर रखना होता है. इसलिए उन्होंने गुरु के चरणों में रहते हुए कठोर तपस्या की है तब जाकर उन्होंने संन्यास का फैसला लिया.
क्यों चुना किन्नर अखाड़ा
सनातन धर्म से जुड़े प्रमुख 13 अखाड़े हैं जिनमें से एक किन्नर अखाड़ा भी शामिल है. लोकल 18 से बात करते हुए ममता कुलकर्णी ने बताया कि सभी संन्यासियों के यहां के इष्ट देव अर्धनारीश्वर हैं और मां बहुचरा देवी हैं. उन्होंने कहा कि हम अपना जीवन आगे भी बिना किसी बंधन के सनातन धर्म के लिए जीना चाहते हैं इसीलिए किन्नर अखाड़े को संन्यास के लिए चुना.