MSP की गारंटी देने को तैयार सरकार, अब गेंद किसानों के पाले में, जानिए आगे क्या होगा

 MSP की गारंटी देने को तैयार सरकार, अब गेंद किसानों के पाले में, जानिए आगे क्या होगा

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

किसानों ने प्रस्ताव पर अध्ययन करने के लिए दो दिन का समय मांगा है। तब तक दिल्ली मार्च नहीं होगा।

 

 

सरकार ने चार फसलों पर दी एमएसपी की गारंटी

नैफेड व अन्य सरकारी संस्थाएं कपास, नरमा, दाल और मक्का खरीदेंगी

 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा-अब फैसला किसानों को करना है

 

नई दिल्ली/चंडीगढ़। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित अन्य मांगों पर किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की वार्ता चंडीगढ़ में हुई। इस दौरान सरकार ने एमएसपी पर एक प्रस्ताव किसानों के सामने रखा है।

 

देर रात चली इस मुलाकात के बाद दोनों पक्षों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सरकार ने अपने प्रस्ताव में क्या बड़ी बातें शामिल की हैं। वहीं किसानों ने बताया कि उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर अध्ययन के लिए दो दिन का समय मांगा है। तब तक किसान शंभू बॉर्डर पर जुटे रहेंगे, लेकिन दिल्ली मार्च नहीं होगा।

 

वार्ता में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल व नित्यानंद राय के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां भी शामिल थे।

 

MSP पर सरकार ने दिया प्रस्ताव, जानिए बड़ी बातें

 

केंद्र सरकार ने कपास, नरमा, दाल और मक्का पर पांच साल तक एमएसपी की गारंटी देने के प्रस्ताव रखा है।

नैफेड व अन्य सरकारी संस्थाएं पांच वर्ष तक ये फसलें खरीदेंगी।

वार्ता में ए2+एफएल फार्मूले पर केंद्र सरकार ने जोर दिया। सरकार का कहना था कि इस फार्मूले के तहत बीज, खाद, सिंचाई व अन्य वस्तुओं की कीमतों और मजदूरी के आधार पर ही फसल की लागत तय होगी।

सरकार ने संकेत दे दिया है कि जब तक आचार संहिता नहीं लगी है, तब तक हम जो कर सकते हैं, उसी पर किसान नेता बात करें।

पिछले आंदोलन के दौरान 3,500ृ किसानों पर जो केस दर्ज हैं, उनको सरकार वापस ले सकती है।

 

बैठक में फसली विविधीकरण के तहत चार फसलों पर पांच साल तक एमएसपी की लिखित गारंटी देने का प्रस्ताव रखा गया है। अब निर्णय किसानों को लेना है। – भगवंत मान, बैठक में शामिल पंजाब के मुख्यमंत्री

किसानों की ऋण माफी पर सरकार का रुख

सरकारी बैंकों से लिए गए कृषि ऋण को माफ किया जा सकता है, लेकिन निजी ऋण किसानों को खुद चुकाने होंगे।