ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए 900 बीट पर होगी शीतकालीन पैट्रोलिंग

 ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए 900 बीट पर होगी शीतकालीन पैट्रोलिंग

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

 

 

सर्दियों के मौसम में आमतौर पर रेल परिचालन कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है।

पैट्रोलिंग दल को प्रतिदिन 16 किलोमीटर चलकर लाइन का परीक्षण करना होगा

बिलासपुर। ठंड में ट्रेनों के परिचालन में आने वाली दिक्कतों को लेकर रेलवे तैयारी पूरी कर ली है। इस बार जोन के 900 बीट पर शीतकालीन पैट्रोलिंग कराई जाएगी। एक बीट दो किलोमीटर का होता है। इसमें दो पैट्रोलिंग कर्मचारी ट्रैकमेन व कीमैन तैनात रहेंगे। वह प्रतिदिन रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक चार बार सर्चिंग करेंगे। प्रत्येक पैट्रोलिंग दल को प्रतिदिन 16 किलोमीटर चलकर लाइन का परीक्षण करना होगा। इसके साथ ही पेट्रोलमैन को जीपीएस ट्रैकर भी दिया जाएगा, जिससे पैट्रोलिंग के समय इन पर निगरानी रखी जा सके। इसके अलावा आपातकालीन स्थिति में इसी ट्रैकर की मदद से मोबाइल फोन द्वारा पेट्रोलमैन से संपर्क किया जा सकता है। कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में तो पेट्रोलिंग शुरू भी हो गई है। जिससे की ट्रेनों का परिचालन बाधित न हो।

 

इसलिए जरुरी होती है पेट्रोलिंग

सर्दियों के मौसम में आमतौर पर रेल परिचालन कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है। इस मौसम में कोहरे के साथ ही रेल फ्रैक्चर की घटनाएं बढ़ जाती हैं। ठंड में रेल लाइन की देखभाल करते हुए रेल यात्रियों की यात्रा को सुरक्षित बनाने में बड़ी जिम्मेदारी ट्रैकमैन की होती है। ट्रैकमैन भारतीय रेल की रीढ़ की हड्डी होते हैं। ठंड हो या गर्मी यहां तक ख़राब मौसम में भी ट्रैकमैन रेलवे ट्रैक पर 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।

इन उपकरणों से रहते हैं लैस

रेलवे का पेट्रोलमैन आपात स्थिति में रेलवे लाइन को सुधारने वाले सभी आवश्यक उपकरण 20 से 25 किलो सामान उठाकर रोजाना 16 से 20 किलोमीटर चलता है। रात के वक्त ट्रैक की पेट्रोलिंग करने वाले कर्मचारियों को एचएसएल लैंप (रात को इंडीकेशन करने वाली लैंप), लाल झंडी, नट बोल्ट कसने के लिए चाबी व पटाखे दिए जाते हैं। यदि कोई नट- बोल्ट या क्लैंप ढीला दिखता है तो तत्काल कस दिया जाता है।