छत्‍तीसगढ़ के सात जिलों की निकाली RTE के लिए लाटरी, 16 हजार सीटें आवंटित, अब एक जून से ले सकते हैं एडमिशन

 छत्‍तीसगढ़ के सात जिलों की निकाली RTE के लिए लाटरी, 16 हजार सीटें आवंटित, अब एक जून से ले सकते हैं एडमिशन

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

आरटीई की लाटरी निकालते अभिभावकगण। l विभाग

 

2500 स्कूलों में मिलेगा गरीब बच्चों को प्रवेश l

एक से 30 जून तक ले सकते हैं एडमिशनl

 

 

 

रायपुर। : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत बच्चों की लाटरी निकाली गई। स्कूल शिक्षा संचालक दिव्या उमेश मिश्रा ने अभिभावकों से ही आरटीई की लाटरी निकालने से पहले आनलाइन क्लिक करवाया। इससे रायपुर सहित सात जिलों के बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई करने के लिए सीट आवंटित हो गई। बाकी जिलों के लिए जल्द ही लाटरी निकाली जाएगी। बच्चों की लाटरी निकलते ही अभिभावकों के चेहरे भी दमक उठे।

जानकारी के अनुसार रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, जगदलपुर और जशपुर में पहले चरण में लाटरी निकाली गई। इन जिलों में लगभग 2,500 निजी स्कूल हैं। इन सात जिलों में 19 हजार सीटों के लिए 33 हजार आवेदन स्वीकृत हुए थे। लाटरी के बाद 19 हजार सीटों में से 16 हजार सीटें आवंटित कर दी गई हैं।

अब विद्यार्थी आवंटित स्कूलों में एक जून से 30 जून तक प्रवेश ले सकते हैं। पहली बार आरटीई में पारदर्शी लाने पालकों को भी बुलाया गया। इसके अलावा राज्य स्तर के अधिकारी भी शामिल हुए। लाटरी प्रक्रिया में पालक, छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी, स्कूल शिक्षा अधिकारी योगेश शिवहरे, आशुतोष चौरे, अशोक बंजारा, दिनेश शर्मा आदि उपस्थित रहे।

प्रदेश में 6554 निजी स्कूल संचालित

प्रदेश में निजी स्कूलों में आरटीई के तहत निर्धन बच्चों को प्रवेश देने का नियम लागू है। जहां निजी स्कूलों में प्रारंभिक कक्षाओं में 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर प्रवेश दिया जाता है। इस समय प्रदेश में आरटीई के तहत 6554 स्कूल हैं। जहां 52,782 आरक्षित सीटें हैं। प्रवेश के लिए कुल 1,22,270 आवेदन मिले हैं। जबकि वर्तमान में 3,26,632 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।

इस बार बड़े अधिकारियों की भी नजर

शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने कुछ दिन पहले ही आदेश जारी कर शिक्षा के अफसरों को कहा है कि शाला त्यागी विद्यार्थियों की पूरी जानकारी रखें। शिक्षा विभाग ने आदेश में कहा है कि बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद भी बच्चों का नाम पोर्टल में दिखता रहता है। ऐसे ड्राप आउट बच्चों को संबंधित स्कूल द्वारा मार्क करना जरूरी है, लेकिन अधिकांश विद्यालयों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता। अब ऐसा नहीं होना चाहिए।

 

आदेश में कहा कि डीईओ गैर अनुदान प्राप्त निजी विद्यालयों के प्रबंधक, प्राचार्यों की बैठक बुलाएं। समीक्षा करें कि उनके विद्यालय में प्रारंभिक कक्षा में कितने विद्यार्थियों ने आरटीई के तहत प्रवेश लिया था। उनमें से कितने विद्यार्थियों ने उनके विद्यालय में उपलब्ध अंतिम कक्षा (कक्षा 8वीं, 10वीं, 12वीं) तक की पढ़ाई की है और कितनों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी।