रायपुर बिजली कंपनी अग्निकांड में फायर ब्रिगेड फाइटरों ने भी माना सुरक्षा में हुई है चूक
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
आयल से भरे टैंकों को असुरक्षित तरीके से रखना पड़ गया भारी
रायपुर: पावर कंपनी के क्षेत्रीय भंडार गृह में लगी भीषण आग को बुझाने में लगे फायर फाइटरों को वहां पर सुरक्षा में भारी कमी नजर आई। दमकल के 25 जवान दिन से लेकर पूरी रात आग बुझाने में जूझते रहे। आखिरकार सुबह तीन बजे आग पर काबू पा लिया। जवानों ने नाम न छापने की शर्त पर माना कि भंडार गृह में ट्रांसफार्मर, आयल, मीटर आदि की सुरक्षा में भारी चूक ने आग को भड़काया।
खुले आसमान के नीचे आयल से भरे तीन बड़े टैंक सैकड़ों ट्रांसफार्मर के आसपास रखे हुए थे। इन टैंकों को आग से बचाना आसान नहीं था।एक टैंक उस समय सामने धूं-धूंकर जल रहा था, तब फायर फाइटरों ने 25-25 हजार लीटर से भरे आयल से भरे टैंक के ढक्कन खुलवा दिया लेकिन आग इतनी तेजी से फैली की काफी कोशिश के बाद भी इसे जलने से रोका नहीं जा सका।हालांकि ढक्कन खुले होने से विस्फोट नहीं हुआ, इससे काफी हद तक आग पर काबू पाने में सफलता मिली।
25 घंटे तक तपिश की परवाह किए बगैर जूझे थे जवान
लगातार 25 घंटे से अधिक समय तक भंडार गृह में डटकर भीषण आग की तपिश की परवाह किए बिना फायर फाइटर आग बुझाने में लगे रहे।पसीने से तर-बतर होने के साथ सभी के कपड़ों में सफेद दाग आ गए थे।जवानों ने कहां कि आग इतनी तेजी से फैलती गई कि इसे बुझाने में पहली बार हर तरह से जूझना पड़ा था।खैर जनहानि नहीं हुई यह ईश्वर की बड़ी कृपा रही।
ट्रांसफार्मर के आसपास आयल से भरे टैंकों को रखना खतरनाक
फायर फाइटरों ने कहा कि सबसे बड़ी लापरवाही यह थी कि आयल से भरे तीन टैंक खुले में असुरक्षित तरीके से रखे हजारों ट्रांसफार्मरों के आसपास ही थे।आयल टंकियों के आसपास आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं धे।गोदाम में जरूर दो फायर सिस्टम,उपकरण रखे हुए थे, पर आग इतनी भीषण तरीके से फैल चुकी थी कि उन्हें निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
स्वचलित फायर सिस्टम के बिना किसने दी टैंक रखने की अनुमति
नियमानुसार जितनी मात्रा में आयल रखा गया था, उसके लिए स्वचलित फायर सिस्टम उपलब्ध होना अनिवार्य है, जिसकी अनदेखी की गई।वहीं टंकियों के आसापास सुरक्षा के लिए पाइप लाइन बिछाई जाती है ताकि आग लगने की स्थिति में टंकियों के पास जाए बगैर ही कंट्रोल रूम में बैठकर एक बटन दबाकर ही वहां झाग वाला फोम व पानी की बौझार किया जा सके। यह चौंकाता है कि भंडार गृह में स्वचलित सिस्टम के बगैर भारी भरकम आयल से भरे टंकियों को रखने की अनुमति किसने दी थी?
लगातार लग रही आग, बच जा रहे जिम्मेदार
बिजली कंपनी से जुड़े जानकारों का कहना है कि 12 साल पहले गुढ़ियारी डिपो में बड़ी आग लगी थी।जिसमें करोड़ों का नुकसान हुआ था। तब भी जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आई थी।जबकि दो साल पहले इसी भंडारगृह में एक महीने के भीतर तीन बार आग लगी थी। वहीं तीन साल पहले सेवा भवन में लगी आग में खरीदी,आपूर्ति से संबंधित ढेरों दस्तावेज जलकर खाक हो गए थे।
चौंकाने वाली बात यह है कि जांच में जिम्मेदार अधिकारियों को क्लीन चिट देकर छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया गया था। चौथी बार लगी भीषण आग में सबकुछ खाक हो गया, बावजूद इसके शासन स्तर पर उच्चस्तीय जांच समिति गठित करने के बजाए जांच की जिम्मेदारी उन अधिकारियों को दी गई जो खुद ही लापरवाही बरतने और आग लगने के जिम्मेदार है।
ये अधिकारी भंडारगृह में रखे ट्रांसफार्मर समेत अन्य उपकरणों की प्रदेशभर में आपूर्ति करने और खरीदी में शामिल है।पूरे अग्निकांड को ये कैसे पूरी ईमानदारी के साथ जांच करेंगे और दोषियों के नाम उजागर कर पायेंगे, यह सवाल पूरे महकमे में उठने लगा है।इस अग्निकांड का हश्र भी लीपापोती के साथ खत्म की होने की संभावना बनी हुई है।
उच्च स्तरीय जांच कमेटी के कार्यपालक निदेशक और अध्यक्ष भीम सिंह कंवर ने कहा, क्षेत्रीय भंडार गृह में लगी आग की घटना की जांच चल रही है।अभी कुछ भी बता पाना संभव नहीं है।सभी पांच प्रमुख बिंदुओं के अलावा साजिश,घोटाले को भी जांच में शामिल किया गया है।एक सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंपा जायेगा।