सिस्टम सरकारी है..’शराबी सेवा’ की जिम्मेदारी है! क्या शराब पीने वालों को सुविधाएं देकर बढ़ावा दे रही सरकार
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
रायपुर। क्या सियासी दलों के लिए शराब, शराब से होने वाले नुकसान और पूर्ण शराब बंदी जैसे मुद्दे क्या केवल विपक्ष में रहते हुए मायने रखते हैं। सत्ता में आते ही दलों का शराबबंदी पर रुख बदल जाता है। ये सवाल उठा है, क्योंकि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस को पूर्ण शराबबंदी के मुद्दे कांग्रेस को कटघऱे में खड़ा करने वाली बीजेपी की सरकार के वक्त आबकारी विभाग अपने ग्राहकों यानि शराब दुकान में आने वाले ग्राहकों को बेहतर से बेहतर सुविधा देने बावत निर्देशित कर रहा है।
जाहिर है इस बार मौका है विपक्ष में बैठी कांग्रेस का, सो वो इसे बीजेपी का दोहरा चरित्र बताकर घेरने में जुट गए हैं। सवाल है क्या वाकई दलों को चिंता है शराब से होने वाले नुक्सान की, क्या सरकार शराब पीने वालों को सुविधाएं देकर बढ़ावा दे रह ही है या फिर अब कांग्रेस इस मुद्दे पर सियासी स्कोप तलाश रही है, बहस होगी दोनों पक्षों से खुलकर।
वर्ष 2018 से 2023 के बीच विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा बार हमला शऱाबबंदी के अधूरे वायदे पर ही बोला है। लेकिन, अब सत्ता लौटी बीजेपी के शासनकाल में शराब दुकानों में शराब ग्राहकों को कई तरह की सुविधा देने के निर्देश दिए हैं। इन सभी सुविधाओं के मूल में भाव यहीं है कि आइए जनाब और पीजिए शराब।
दरअसल, आबकारी विभाग की सचिव आर संगीता ने मदिरा दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा, कि शराब ग्राहकों के साथ अच्छा बर्ताव करें। ग्राहकों के अनुरूप शराब की ब्रांड उपलब्ध कराएं, ड्यूटी के दौरान निर्धारित यूनिफॉर्म में आई कार्ड लगाकर उपस्थित रहें, निर्धारित समय पर दुकान खोलें और बंद करें।
वैसे, शराब के दाम चुकाने वाले ग्राहकों को सही और खरी सेवाएं मिलें ये पूरी तरह से जायज बात है। लेकिन, शराब और शराब बंदी हमेशा से सियासी गलियारे में बड़ा मुद्दा रहा है, सो आबकारी विभाग के सचिव के इस निर्देश के बाद इस पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। विपक्षी कांग्रेस ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो पार्टी विपक्ष में रहकर शराबबंदी की मांग कर ढोंग रचती रही, अब सत्ता में आते ही उसकी सच्चाई सामने आ रही है।
विपक्ष के इस हमले का जवाब प्रदेश के गृहमंत्री ने दिया। डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि अगर कोई व्यवसाय है, तो वहां आने वालों के साथ अच्छा बर्ताव तय करने में क्या बुराई है। बीजेपी का तर्क है कि इस निर्देश का से शराब पीने को लेकर प्रोत्साहन जैसी कोई बात नहीं है। क्योंकि, निर्देश शराब दुकान में पहुंचे ग्राहकों के लिए हैं, जहां शराब पीने वाले ही आएंगे।
24 साल के प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने सरकारें चलाईं हैं। 15 बरस तक रमन सरकार के समय विपक्ष में रही कांग्रेस ने कई बार बीजेपी सरकार की शराबबंदी और शराबबंदी के वादे को लेकर घेराबंदी की, फिर जब 2018 में कांग्रेस सरकार बनी तो बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए 5 साल तक शराबबंदी के अधूरे वादे पर कांग्रेस को जमकर घेरा। अब बीजेपी फिर सत्ता में है, लेकिन जिस तरह से सरकारी शराब दुकानों पर शराब ग्राहकों को बेहतर सेवाओं को लेकर निर्देश जारी हुए हैं, उससे सवाल उठता है- कि क्या शराब से होने वाले नुकसान का रोना और पूर्ण शराबबंदी की मांग केवल विपक्ष का सियासी हथियार मात्र होता है?