हड़ताल से आम जनता परेशान, पिछले दरवाजें से 2,500 पटवारियों ने निपटाए रसूखदारों के काम

 हड़ताल से आम जनता परेशान, पिछले दरवाजें से 2,500 पटवारियों ने निपटाए रसूखदारों के काम

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी

 

250 से ज्यादा पटवारी परिवीक्षा अवधि में, फिर भी हड़ताल पर

आय, जाति, निवास कार्यों के लिए आम नागरिक हो रहे परेशान

पटवारी संघ की मांगों को लेकर विभागीय सचिव से हुई चर्चा

 

 

 

रायपुर। एक तरफ शासन की ओर से राजस्व मामलों को निपटाने के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं, दूसरी ओर पटवारी संघ अपनी 32 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर चला गया है। इसकी वजह से आम आदमी आय, जाति, निवास, नामांतरण सहित अन्य कार्यों के लिए तो परेशान है, लेकिन रसूखदारों के काम अब भी धड़ल्ले से रहे हैं।

राजस्व पटवारी संघ का दावा है, कि 5,000 पटवारी हड़ताल पर हैं, लेकिन मौजूद आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार दिनों में हड़ताल की अवधि के दौरान पिछले दरवाजे से 2,500 पटवारियों ने लोगों के काम निपटाए हैं। इतना ही नहीं, प्रदेशभर में लगभग 250 पटवारी परिवीक्षा अवधि में कार्य कर रहे हैं और नियमानुसार वे सभी हड़ताल पर नहीं जा सकते। लेकिन इसके बावजूद वे 250 पटवारी भी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं और काम छोड़कर धरना स्थल में जाकर विराेध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसी बीच विभागीय अफसरों के अनुसार पटवारियों से चर्चा की जा रही है कि वे विराेध छोड़कर काम पर वापस लौट जाएं, लेकिन अब तक हड़ताली पटवारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसी बीच पटवारी संघ का कहना है कि संघ की मांगों को लेकर विभागीय सचिव से चर्चा की गई है और जिसमें सचिव की ओर से मांगों पर सहमति जताते हुए, इन्हें हल करने की कोशिश करने की बात कही है।

 

जानिए, किस दिन कितने पटवारियों ने किया काम

आठ जुलाई – 1,110

 

नौ जुलाई – 609

 

10 जुलाई – 443

 

11 जुलाई – 271

 

निशर्त खत्म हुई थी पिछली हड़ताल

राजस्व पटवारी संघ ने एक साल पहले भी हड़ताल किया था, उस दौरान यह हड़ताल लगभग एक महीने तक चली थी और इसके बाद शासन ने पहले तो पटवारियों की आइडी को बंद किया था और इसके बाद एस्मा तक लगाने की नौबत आ गई थी। इसके बाद जाकर शासन के दबाव के बाद ही पटवारियों ने नि:शर्त हड़ताल वापस ली थी।

 

छग शासन राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा, अभी पटवारियों से बातचीत की जा रही है, कि वे काम पर वापस आ जाएं। हालांकि मांगें कुछ खास नहीं है, लेकिन हड़ताल कर दबाव बनाना सही तरीका नहीं है। चर्चा से हल नहीं निकलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।