महाकुंभ मेले में 52 साल पुरानी कार से पहुंचे इंदौर के बाबा, गाड़ी देखने के लिए लगी श्रद्धालुओं की भीड़- बोले- यह मेरी जिंदगी है

 महाकुंभ मेले में 52 साल पुरानी कार से पहुंचे इंदौर के बाबा, गाड़ी देखने के लिए लगी श्रद्धालुओं की भीड़- बोले- यह मेरी जिंदगी है

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार

यूपी के प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 आयोजित किया गया है. इस मेले में दुनिया भर से बाबा पहुंचे हैं. वहीं, इंदौर के मशहूर टार्जन बाबा अपनी 52 साल पुरानी कार लेकर पहुंचे हैं. यह कार श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

 

प्रयागराज: यूपी के प्रयागराज की संगम नगरी में महाकुंभ का मेला आयोजित होने वाला है. इसकी पूरी तैयारी हो गई है. ऐसे में गंगा की धरा पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ होने जा रहा है. महाकुंभ में कई नामी बाबा पहुंचे हैं. महाकुंभ में अभी भी देश-विदेश से बाबाओं के आने का सिलसिला जारी है. मध्य प्रदेश के रहने वाले टार्जन बाबा अपनी 50 साल पुरानी एंबेसडर से महाकुंभ पहुंचे हैं. टार्जन बाबा अपनी अनोखी कार को लेकर आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. बता दें कि बाबा 52 साल पुरानी एंबेसडर कार से चलते हैं.

 

 

जानें कौन हैं टार्जन बाबा

 

महाकुंभ में पहुंचे टार्जन बाबा का नाम महंत राजगिरी है. टार्जन बाबा इंदौर से महाकुंभ में पहुंचे हैं. अक्सर कुंभ जैसे बड़े आयोजनों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं. टार्जन बाबा ने अपने परिवार और सुख सुविधाओं से संन्यास ले रखा है. उनके पास एक एंबेसडर कार है. जिस एंबेसडर कार से महाकुंभ में आए हैं. वह लगभग 52 साल पुरानी है.

बाबा इसी एंबेसडर कार में रहते हैं. लोकल 18 से बात करते हुए टार्जन बाबा ने बताया कि उनके माता-पिता को कोई संतान नहीं हो रहा था. ऐसे में माता-पिता ने मान्यता मानी थी कि पहला लड़का गुरु जी को दान करेंगे. तब माता-पिता को 3 संतान हुई, जिसमें से मुझे उन्होंने गुरु जी को सौंप दिया. तब से वह संन्यास धारण किए हुए हैं.

 

 

1972 मॉडल की है एंबेसडर

 

इस एंबेसडर कार को बाबा ने सैफरन कलर में पेंट करा रखा है. यह एंबेसडर कार 1972 मॉडल की है. टार्जन बाबा की उम्र 70 साल से अधिक है. बाबा इसी एंबेसडर कार से पिछले 4 साल से कुंभ आ रहे है. इसी में सोते हैं और इसी में खाते हैं. बाबा अपने इस कार को अपनी जिंदगी बताते हैं.

 

बाबा ने बताया कि पहले इनके पास दूसरी गाड़ी थी, लेकिन 1972 में उस गाड़ी को बेचकर 40000 रुपए अपने पास से मिलकर और कुछ भक्तों से मिलाकर यह एंबेसडर कार मुरादाबाद से खरीदी थी. उन्होंने बताया कि उनकी इस गाड़ी का प्रयोग टार्जन फिल्म की शूटिंग में किया गया था. तब से लोग उन्हें टार्जन बाबा कहने लगे.चलता फिरता आश्रमटार्जन बाबा इन दिनों महाकुंभ मेले में संगम किनारे कुटिया बनाकर रह रहे हैं. उनकी अनोखी कार भी उनकी कुटीया के सामने खड़ी हुई है. बाबा का कहना हैं कि उन्होंने अपनी कार को मां का दर्जा दिया है. उन्हें इस कार में आध्यात्मिक शांति और संतुष्टि मिलती है.