धान खरीदी का शुभारंभ, CM साय बोले- किसानों को मिलेगा 72 घंटे में भुगतान, 2,739 सेंटर में बेच सकेंगे फसल

 धान खरीदी का शुभारंभ, CM साय बोले- किसानों को मिलेगा 72 घंटे में भुगतान, 2,739 सेंटर में बेच सकेंगे फसल

राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार

 

14 नवंबर से 31 जनवरी 2025 तक धान खरीदी।

पूरे छत्‍तीसगढ़ में 2,739 धान खरीदी केंद्र स्थापित।

किसानों को 72 घंटे के भीतर बैंक खातों में भुगतान।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आज से धान खरीदी महापर्व का आगाज हो गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बालोद जिले के भांठागांव (बी) स्थित धान खरीदी केंद्र से इस महापर्व की शुरुआत की। 14 नवंबर से लेकर 31 जनवरी 2025 तक पूरे राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जाएगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने केंद्र में पहुंचकर इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीन और अन्य उपकरणों का पूजन किया और वहां मौजूद किसानों का माला पहनाकर स्वागत किया।

 

मुख्यमंत्री साय ने इस मौके पर किसानों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह महापर्व किसानों की मेहनत और राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। किसानों के चेहरों पर संतोष की झलक देखते ही बन रही थी। ग्राम भांठागांव के किसान भागबली ने 148 क्विंटल और हरिराम ने 65 क्विंटल 20 किलो धान बेचा। मुख्यमंत्री की उपस्थिति में धान बेचने का अवसर पाकर दोनों किसान बेहद खुश नजर आए।

 

इस उपार्जन केंद्र पर पहले दिन कुल 6 किसानों का टोकन काटा गया, जिससे धान खरीदी का काम सुचारू रूप से शुरू हो गया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने गुण्डरदेही विकासखंड के ग्राम मोहंदीपाट में 30 लाख रुपये की लागत से निर्मित जिला सेवा सहकारी बैंक की नई शाखा का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी, शहीद बिरसा मुंडा और गहिरा गुरु के तैल चित्रों पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से की गई।

 

किसानों को 72 घंटे में भुगतान की गारंटी

राज्य में 31 जनवरी 2025 तक पंजीकृत किसानों से धान खरीदी की जाएगी। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को उनकी फसल का भुगतान 72 घंटे के भीतर उनके बैंक खातों में किया जाएगा। इस बार राज्य में कुल 2,739 धान खरीदी केंद्र स्थापित किए गए हैं।

 

इस सीजन में 27,01,109 पंजीकृत किसानों ने 34,51,729 हेक्टेयर भूमि पर धान की बुआई की है, जिसमें से 1,35,891 किसान नए पंजीकृत हैं। सरकार की यह पहल किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।