आरटीआई को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला- हर एक संस्था को देनी होगी जानकारी
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
आय-व्यय का ब्योरा लेने संस्था के बाहर के एक व्यक्ति ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी।
इसके बाद संस्था ने देने से यह कहकर इन्कार कर दिया था कि यह कोई शासकीय संस्थान नहीं है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी विधिवत आवेदन पेश करता है तो उसे जानकारी देनी होगी।
बिलासपुर। आरटीआई के संबंध में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बिलासपुर कुदुदंड स्थित चर्च चर्च ऑफ ख्राइस्ट मिशन से संबंधित एक मामले में कुछ इस तरह व्यवस्था दी है। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने संस्था को निर्देशित किया है कि अगर कोई व्यक्ति सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विधिवत आवेदन पेश करता है तो उसे जानकारी देनी होगी।
संस्था ने यह कहते हुए जानकारी देने से इन्कार कर दिया था कि उसे केंद्र व राज्य शासन से किसी तरह का कोई अनुदान नहीं मिलता है। जानकारी मांगने वाला व्यक्ति संस्था से संबंधत नहीं है। कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि कोई व्यक्ति अधिनियम 2005 के तहत कोई जानकारी मांगता है तो इस अधिनियम के अन्तर्गत याचिकाकर्ता सोसायटी सूचना देने के लिए उत्तरदायी होगी।
आय-व्यय का ब्योरा लेने मांगी थी जानकारी
चर्च ऑफ ख्राइस्ट मिशन द्वारा कुदुदंड बिलासपुर में संचालित अलग-अलग प्राथमिक शाला और शेफर स्कूल के आय-व्यय का ब्योरा लेने संस्था के बाहर के एक व्यक्ति ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। इसे संस्था ने देने से यह कहकर इन्कार कर दिया था कि यह कोई शासकीय संस्थान नहीं है। इसके अलावा इसे कोई अनुदान भी नहीं मिलता है। बाद में शिकायतकर्ता का निधन भी हो गया।
बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का भवन।
10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया
संस्था द्वारा सूचना नहीं प्रदान करने पर संस्था के बाहर के सदस्यों ने सूचना आयोग में आवेदन पेश किया था। मामले की सुनवाई के बाद सूचना आयोग ने संस्था को नोटिस जारी कर जानकारी नहीं देने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका था। सूचना आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता संस्था ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दायर आवेदन के अनुसार कोई भी जानकारी देने के लिए संस्था उत्तरदायी नहीं है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में यदि कोई व्यक्ति अधिनियम 2005 के तहत कोई जानकारी मांगता है तो संबंधित सोसायटी सूचना देने के लिए उत्तरदायी होगी। इसके साथ ही याचिका को कोर्ट ने निराकृत कर दी है।