छत्तीसगढ़ में ईवीएम से नहीं बैलेट पेपर से होगा निकाय चुनाव, कांग्रेस सरकार ने किया था बदलाव
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
भाजपा सरकार में ईवीएम से नगर निगमों में कराए गए थे चुनाव
कांग्रेस सरकार ने नगरीय निकाय अधिनियम में किया था बदलाव
प्रत्यक्ष रूप से महापौर के चुनाव के लिए भी संशोधन की जरूरत
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नवंबर-दिसंबर में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में बैलेट पेपर से ही मतदान होगा। विधानसभा- लोकसभा चुनाव ईवीएम से संपन्न हुए थे मगर निकाय चुनाव में नियमों के पेंच के कारण बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाएगा। दरअसल, राज्य सरकार ने अभी तक नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 और छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 में बदलाव नहीं किया है।
ईवीएम से चुनाव के लिए विधानसभा में अधिनियम के संशोधन का प्रस्ताव पारित कराना आवश्यक है। पिछली बार कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने नगरीय निकाय अधिनियम में बदलाव करके बैलेट पेपर से चुनाव कराया था। इसके पहले डा. रमन सिंह की भाजपा सरकार में ईवीएम से नगर निगमों में चुनाव कराए गए थे। ऐसे में इस बार भी नियम बदले नहीं गए तो बैलेट पेपर से ही चुनाव होगा।
प्रत्यक्ष महापौर के चयन में भी संशोधन का रोड़ा
प्रत्यक्ष रूप से महापौर के चुनाव कराने के लिए भी अधिनियम में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। अविभाजित मध्यप्रदेश में 1999 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता के हाथ में दिया था। तब नगर निगम रायपुर में तरुण चटर्जी पहले महापौर बने थे। वह 2000 से 2003 तक महापौर रहे। इसके बाद 2004 के चुनाव में भाजपा के सुनील सोनी चुनकर आए। भूपेश सरकार ने महापौर के चयन का अधिकार पार्षदों को सौंप दिया था।
पूरे देश में हो बैलेट पेपर से चुनाव
कांग्रेस का मानना है कि पूरे देश में बैलेट पेपर से ही चुनाव होना चाहिए। कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव के लिए तैयार है। – सुशील आनंद शुक्ला, अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग
हम सबमें तैयार हैं
चुनाव किसी भी माध्यम से हो, भाजपा चुनाव के लिए तैयार है। पिछली सरकार ने महापौर चुनने के प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली को समाप्त किया था, इसके पहले प्रत्यक्ष मतदाता ही महापौर चुनते रहे हैं। – संजय श्रीवास्तव, प्रदेश महामंत्री, भाजपा
169 निकायों में होना है चुनाव
प्रदेश में कुल 184 नगरीय निकाय हैं। इनमें 14 नगर निगम, 48 नगर पालिका परिषद और 122 नगर पंचायत शामिल हैं। इनमें 169 निकायों में चुनाव होंगे। बाकी निकायों का कार्यकाल वर्ष 2025 में पूरा होगा। प्रदेश के 14 नगर निगमों में 13 में कांग्रेस के महापौर हैं।
नगरीय निकायों में परिसीमन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। 70 निकायों के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। कलेक्टरों ने प्रदेश कुल 75 निकायों में परिसीमन की जरुरत बताई थी। इसमें छह नगर निगम भी शामिल हैं। एक नगर निगम समेत पांच निकायों के परिसीमन पर कोर्ट ने रोक लगा दी। जिन निकायों के परिसीमन पर स्टे लगा हुआ है उनमें राजनांदगांव, कुम्हारी, बेमेतरा, कवर्धा और तखतपुर शामिल हैं।