मलबे में ढूंढ रहे थे कुसमुंडा के लापता अंडर मैनेजर नागरकर को, रात भर में पानी से ऊपर आ गई लाश
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
कुसमुंडा कोयला खदान के लापता अंडर मैनेजर नागरकर तलाश कल से चल रही थी
आज सूबह मलबे में तलाशी के दौरान नागरकर का शव पानी की सतह पर नजर आया
मृतक नागरकर पहले डब्ल्यू सीएल में पदस्थ थे, तीन साल पहले एसईसीएल में स्थानांतरित
कोरबा। साऊथ इस्टर्न कोलफिल्ड इस्टर्न लिमिटेड (एसईसीएल) की कुसमुंडा कोयला खदान में वर्षा के दौरान पानी व मलवे के सैलाब की चपेट में आने की घटना के बाद से लापता अंडर मैनेजर जितेंद्र नागरकर की लाश खदान के अंदर ही संप में मिली है। शनिवार को हुई इस घटना के बाद से प्रबंधन मलबे में नगरकर को तलाश रही थी। रात को अंधेरा हो जाने की वजह से एसडीआरएफ वी एसईसीएल की विभागीय टीम ने रेस्क्यू बंद कर दिया था। रविवार की सुबह रेस्क्यू पुनः शुरू किया जाता, इससे पहले संप में शव उफन कर बाहर आ गया। कर्मचारियों ने सुबह पानी की सतह पर शव को देखा। मृतक नागरकर पहले डब्ल्यू सीएल में पदस्थ थे, तीन साल पहले एसईसीएल में स्थानांतरित होकर आए थे। उनका परिवार भी यहां नहीं रहता।
कुसमुंडा खदान में लापता मैनेजर की रात भर में पानी से ऊपर आ गई लाश
गौरतलब हो कि देश के दूसरे सबसे बड़े कुसमुंडा कोयला खदान में यह दर्दनाक हादासा शनिवार को दोपहर करीब तीन बजे हुआ। उस समय तेज वर्षा हो रही थी। जनरल शिफ्ट के अधिकारी व कर्मचारी ड्यूटी में थे। खदान के वीरान स्थल गोदवरी फेस में भारी वर्षा की वजह से जितेंद्र कुमार नागरकर शिफ्ट इंचार्ज व अंडर मैनेजर, धरमसिंह माइनिंग सरदार व चार अन्य कर्मचारी फंस गए। वर्षा से बचने खदान के अंदर लोहे के स्ट्रक्चर के रेस्ट सेल्टर में सभी शरण लिए हुए थे।
मलबे का सैलाब
बताया जा रहा है कि अचानक रेस्ट सेल्टर के पीछे ओवरबर्डन खदान के मिट्टी निकासी का टिला के ऊपर से पानी के साथ मलबे का सैलाब फूट पड़ा। रेस्ट सेल्टर में मौजूद छह में चार कर्मचारी किसी तरह भागकर अपनी जान बचा लिए पर नागरकर लापता हो गए। धरमसिंह भी सुरक्षित स्थल की ओर भागे पर वह भी कमर तक मलवा में दब गया। किसी तरह वह बाहर निकला तब तक उसकी हालत खराब हो चुकी थी। चूंकि इस स्थल पर कर्मचारियों का आना जाना कम होता है
घटना की जानकारी
इस वहज से इस घटना की जानकारी तब हुई जब कुछ कर्मचारियों ने माइनिंग सरदार धरमसिंह को बेहोश अवस्था में देखा। इसके साथ ही खदान के अंदर खलबली मच गई। सबसे पहले धरमसिंह को गेवरा के विभागीय अस्पताल भेजा गया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हे अपोलो अस्पताल बिलासपुर इलाज के लिए भेज दिया गया। चिकित्सकों ने उनकी हालत खतरे से बाहर बताई है। इस घटना की वजह से एसईसीएल कर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई है।