नक्सल क्षेत्र में जीता लोकतंत्र, सुरक्षा बल के प्रहार से नक्सलगढ़ में बदली चुनावी दिशा
राज्य ब्यूरो मोहम्मद आसिफ खान संपादक बीरेंद्र कुमार चौधरी
जगदलपुर, प्रदेश की प्रथम चरण के चुनाव में एकमात्र बस्तर लोकसभा सीट पर 67 प्रतिशत मतदान के साथ बस्तर ने नक्सलतंत्र को धत्ता दिखाते हुए लोकतंत्र को जिताने में पूरी ताकत झोंक दी। पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले सुरक्षा बल के शौर्य से बस्तर में नक्सली बैकफुट पर है। अब सुरक्षा के साये में बदली परिस्थिति में बस्तर में चुनाव हो रहा है तो इस बार नक्सली पूरी तरह से अप्रभावी दिखाई दिए।
सूरज की तपिश से 42 डिसे पर जा चुका पारा भी मतदाताओं के उत्साह से उत्पन्न लोकतंत्र के सूर्य के तेज को कम नहीं कर सका। शहर से लेकर गांव तक बस्तर में लोकतंत्र महापर्व में मतदाताओं ने सहभागिता दिखाकर लोकतंत्र को सशक्त बनाने कोई कमी नहीं रखी।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद पिछले तीन माह में सुरक्षा बल ने नक्सलियों के आधार क्षेत्र में 20 नये कैंप स्थापित कर वहां से नक्सलियों के विरुद्ध आक्रामक प्रहार किया है। तीन माह की अवधि में नक्सलियों के गढ़ में घुसकर 80 नक्सलियों को ढेर कर दिया, जिसका प्रभाव इस बार चुनाव में दिखाई दे रहा है।
कांकेर जिले के छोटेबेठिया में नक्सलियों के उत्तर बस्तर डिवीजन के परतापुर एरिया कमेटी के 29 नक्सलियों को मार गिराने व बीजापुर में पश्चिम बस्तर डिवीजन के गढ़ नेंड्रा व कोरचोली में गंगालूर एरिया कमेटी के कंपनी नंबर दो के साथ हुए मुठभेड़ में 13 नक्सलियों को ढेर करने की घटना ने ग्रामीणों के मन में बैठे नक्सली भय को समाप्त कर दिया। नक्सलगढ़ में सुरक्षा बल पर भरोसा बढ़ा है और लंबे समय से चुनाव के दौरान घर में दुबके रहने वाले ग्रामीणों ने इस बार खुलकर लोकतंत्र पर भरोसा जताया है।
जहां से नक्सली जारी करते थे फरमान, वहां भी पड़े मत
बस्तर में नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ कुख्यात नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती नक्सल संगठन का केंद्र बिंदु था, जहां से नक्सली चुनाव बहिष्कार का फरमान जारी करते थे। 40 वर्ष तक नक्सलियों के प्रभाव में रहे इस गांव में दशकों से किसी ने मतदान नहीं किया था।
दो माह पहले इस गांव में सुरक्षा बल का कैंप स्थापित करने के बाद पहली बार पूवर्ती के ग्रामीणों के लिए सिलगेर में विस्थापित मतदान केंद्र खोला गया, जहां पूवर्ती के 33 ग्रामीण सात किमी चलकर पहुंचे और नक्सलतंत्र को छोड़कर लोकतंत्र को जीताने का मार्ग प्रशस्त कर, यह बता दिया कि बस्तर में नक्सलियों के अब गिनती के दिन ही बाकी हैं। सिलगेर के चुक्का (परिवर्तित नाम) ने बताया कि सुरक्षा बल के आने के बाद ग्रामीणों में लोकतंत्र के प्रति भरोसा बढ़ा है। ग्रामीण गांव में स्कूल, शिक्षा, सड़क, बिजली, अस्पताल, राशन की सुविधा चाहते हैं।